देश विदेश में मनाया गया 1 जनवरी को बहिराणा दिवस।

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देश विदेश में एकता सद भाव और हर्ष उल्लास से संपन्न बहिराणा दिवस धर्मगुरु लवली महराज एवं सामाजिक संगठन झूलेलाल की फौज द्वारा प्रेरित देश में सिंधु संस्कृति का पूजन दिवस पूरे देश के साथ विदेश में भी पूरे हर्ष उल्लास धूमधाम से मनाया गया और समाज में एकता समरसता सद भाव के सिंधु संदेश के साथ समाज को सनातन धर्म एवं अपने इष्ट के साथ जुड़ने का संकल्प लिया गया एक जानकारी में साई झूलेलाल के प्रथम गादी सर स्रद्धेय संत पूगर देव से संबधित मध्य प्रदेश बालाघाट के झूलेलाल जी के यशस्वी संत साईं महेश लाल ने बताया कि सिंधु घाटी के गौरवशाली वंशज की मूल पहचान ही सनातन धर्म रहा है, प्राचीन काल से ही सिंधु समाज का मुख्य जल और ज्योति का अलौकिक पूजन सिंध की संस्कृति रही है, साई झूलेलाल जी का जन्म भी जल और ज्योति के पूजन के वरुण देव की कृपा से हुआ है इसलिए साई झूलेलाल जी को वरुण देव भी कहा जाता है ,साई झूलेलाल ने अल्प समय में ही समाज को सनातन धर्म की मूल जड़ों से जोड़ने एवं समाज में ऊंच नीच का भेदभाव और कुरीतियों को मिटाकर कर विश्व में अन्य समुदायों में सिंधु अलौकिक संस्कृति को परिचित कराए,साई महेश लाल ने आगे कहा कि समाज आज अपनी मूल धर्म संस्कृति और सभ्यता से उखड़ कर दिशाहीन होकर गैर सनातनी पंथों में बिना ज्ञान के बिना सोचे समझे देखा देखी से भटक गया है और अनजाने में ही अपने। ही हाथो से अपनी प्राकृतिक सभ्यता को नष्ट कर रहा है इसलिए श्री लवली बाबा जी के नेतृत्व में झूलेलाल की फौज टीम के धर्मयोद्धाओ बंटी वाधवानी, अश्वनी वटवानी दादा गंगाराम अमेसर, अमित मिंजानी सहित अन्य सदस्यों ने संकल्प लिया है समाज में जाग्रति कर समाज को एक दिशा देने का प्रयास करेंगे जो दुनिया में एक बार फिर अपनी शाश्वत ज्ञान विज्ञान से परिपूर्ण सभ्यता संस्कृति की अलख जागेगी,
अंत में उन्होंने इस सामाजिक जाग्रति के इस महान आयोजन को सफल बनाने के लिए समाज के सभी गुणिजनो प्रबुद्ध जागरूक नागरिकों सामाजिक संगठनों पूज्य संतो एवं धर्मगुरुओं सहित मातृ शक्ति को नमन कर आभार व्यक्त किया है।

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