हर दिन को मनाओ मातृ दिवस के रूप में। रेखा धनकानी

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अच्छी बातें सच्ची बातें। लेखिका रेखा धनकानी कहते हैं माता-पिता का ऋण ना कभी चुकाया जा सकता है और ना ही चुका सकते हैं। दोनों अपने फर्ज को कभी नहीं भूलते अपने बच्चों का श्रेष्ठ ध्यान रखते हैं। इसलिए क्या अपनी माता के लिए एक ही दिन श्रेष्ठ होता है। नहीं हमें हर दिन मातृ दिवस के रूप में मनाना चाहिए। कहते हैं ना जब ईश्वर ने सृष्टि बनाई। तब वह हर जगह मौजूद नहीं रह सकता था इसलिए उसने माता-पिता का निर्माण किया। जिसमें माता बच्चों के प्रति अधिक योगदान माना गया है। वहीं दूसरी और पालन-पोषण के लिए पिता का योगदान अधिक माना गया है। दोनों समानता से अपना कर्तव्य कर्म अपने बच्चे के प्रति करते रहते हैं। इसलिए हमें हर दिन माता पिता दिवस के रूप में मनाना चाहिए। अभी तू एक ही दिन नहीं चुनना चाहिए। राधे राधे। आप सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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