भगवाधारी ने करवा चौथ के अगले ही दिन पति का गला रेत दिया

Listen to this article

‘करवा चौथ का दूसरा दिन था। तिवारी जी (कमलेश तिवारी) और हम बतिया रहे थे, जब दो लोग आए। भगवा कपड़े पहने हुए, हाथों में मिठाई के डिब्बे लिए। वो उनसे मिलने चले गए। मिनटभर के लिए मेरी आंख झपकी होगी। खुली, तो वे जा चुके थे। हमेशा के लिए! उनकी हत्या के बाद रातों-रात सब बदल गया। लोग हमसे रिश्ता रखने से डरने लगे। मुझे और बच्चों को धमकियां मिलने लगीं।

जिस घर में रात-बेरात कोई भी आ-जा पाता था, अब उसी के नीचे छोटी पुलिस चौकी बन चुकी है। कोई मायके से आए, या पड़ोस से- उसका सामान, कपड़े तलाशे जाते हैं। खुद मैं बाहर जाती हूं तो तीन गनर साथ चलते हैं। हत्या उन लोगों ने की, कैद में हम जी रहे हैं।’

दरअसल 2019 में 18 अक्टूबर को लखनऊ के कमलेश तिवारी नाम के हिंदू नेता की हत्या कर दी गई। हत्यारों ने पहले गला रेता, फिर जान बाकी न रह जाए, ये पक्का करने के लिए गोली मार दी। कमलेश पर आरोप था कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को चोट पहुंचाई थी। इस हत्या के बाद देशभर में बवाल भी खूब हुआ।

अब उस घटना के करीब ढाई साल बीत चुके हैं, लेकिन कमलेश की पत्नी और उनके बच्चे आज भी खौफ के साये में जी रहे हैं। हाल ही में 22 जून को उनके घर पर एक बेनाम-बेपता लिफाफा आया, जिसमें उर्दू में मौत का पैगाम लिखा था। तब से उनके घर के नीचे सुरक्षा और पक्की हो चुकी है।

स्याह कहानियों की सीरीज ब्लैकबोर्ड के लिए हम पहुंचे लखनऊ के खुर्शीद बाग कॉलोनी। बकरीद का दिन! बाजार बंद थे, लेकिन शहर-ए-तहजीब के हर गली-चौराहे से किस्म-किस्म के अत्तर की महक आ रही थी।

मैंने लोकेशन डालकर टैक्सी बुक करनी चाही तो एक के बाद एक तीन कैब वालों ने इनकार कर दिया। ‘मैडम, उस जगह बहुत भीड़ होती है, घुसेंगे तो निकल नहीं पाएंगे।’ बहुत झिकझिक के बाद एक ड्राइवर राजी हुआ, लेकिन शर्त थी कि वो अमीनाबाद चौराहे पर ड्रॉप कर देगा। वहां से खुर्शीद बाग कॉलोनी पहुंचना खास मुश्किल नहीं था। ‘कमलेश तिवारी का घर’ अपने-आप में एक एड्रेस था, जो हर कोई जानता है। साथ में एक गहरी निगाह कि ये लोग भी कहीं ‘वो’ तो नहीं!

घर के नीचे हिंदू एकता के पर्चे लगे हैं, साथ में एक और पोस्टर भी है- कमलेश के हत्यारों को फांसी दो। पोस्टर काफी पुराना है और एक-दो जगहों से उखड़ रहा है, जो मर चुके इस शख्स की पत्नी के जख्म की गवाही देता है।

दरम्यानी उम्र की किरण तिवारी अपने पति कमलेश तिवारी की मौत पर बात करती हैं तो उनका चेहरा उनके घर की दीवारों से भी ज्यादा सपाट दिखता है। कोई भाव नहीं! बता-बताकर थकी हुई जबान, लेकिन बोलते हुए अचानक ही वे फफककर रो पड़ती हैं।

(Visited 12 times, 1 visits today)