कानून को ताक में रखकर सुनाई गई थी फांसी की सजा। शहीद हेमू कालानी

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दहशत में कर्नल रिचर्डसन ने कांपती कलम से मौत की सजा सुनाई
19 वर्षीय युवा,जिसका चेहरा रौबीला,शरीर हष्ट-पुष्ट,बदन फौलादी था,जो सर पर कफन बाँधकर,सीना तानकर चलता था.वह पुलिस की पिटाई से लहूलुहान हो गया.कोर्ट ने देशद्रोह के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई,लेकिन सेना के कर्नल ने इस सजा को फांसी में बदलकर कानून की धज्जियाँ उड़ायी,क्योंकि उसे डर था *यदि वह बाहर निकला तो अंग्रजों की छाती छलनी कर देगा.खौफ इतना था कि मात्र *तीन माह में उसे फांसी पर लटका दिया.*21जन.1943 को फांसी पर चढ़ने वाला वह युवक हेमू कालानी युगो युगो तक याद किया जाएगा।

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