सरकार ने वन स्टेट-वन इलेक्शन और परिसीमन के नाम पर चुनाव को अटकाए रखा है।

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जयपुर, 28 अक्टूबर। जिन राज्यों में विधानसभा और पंचायती राज व नगर निकायों के चुनाव ना हो वहीं एसआईआर की जाती है किंतु चुनाव आयोग ने कल एसआईआर राजस्थान में करने की घोषणा की है जबकि राजस्थान प्रदेश में पिछले एक साल से नगर निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव पेंडिंग है। 49 नगर निकायों का कार्यकाल नवंबर 2024 में पूर्ण हो चुका है, 11310 ग्राम पंचायत का कार्यकाल समाप्त हो चुका है इन सभी में सरकार द्वारा प्रशासक लगाए जा चुके हैं। परिसीमन का खेल खेला जा रहा है पहले बजट में वन स्टेट-वन इलेक्शन की बात कही गई लेकिन आज तक ना मीटिंग हुई है ना ही इस संदर्भ में कोई सर्कुलर जारी हुआ है। केवल नगर निकाय और पंचायत राज के चुनाव को लम्बित करने के लिए यह राज्य सरकार ने राग अलापा गया है, जबकि परिसीमन नगर निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं के कार्यकाल के समाप्त होने से पूर्व कर दिया जाना चाहिए, यही नियम है दो माह पूर्व परिसीमन कर वोटर लिस्टों का कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए तथा पंचायत एवं निकायों के वार्डाे का गठन भी हो जाना चाहिए, तत्पश्चात चुनाव कराए जाते हैं लेकिन सरकार ने वन स्टेट-वन इलेक्शन और परिसीमन के नाम पर चुनाव को अटकाए रखा है। उक्त विचार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय जयपुर पर आयोजित विशेष प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
पंचायती राज संस्थाओं का परिसीमन 4 जून 2025 तक और नगर निकायों का 22 मई 2025 तक परिसीमन किया किया जाने की तारीख सरकार द्वारा तय की गई थी लेकिन आज तक केवल नगर निकायों के वार्डों का नोटिफिकेशन जारी हुआ है। इसके अलावा राज्य निर्वाचन आयुक्त को सरकार ने यह लिखकर नहीं दिया कि राज्य सरकार नगर निकायों एवं पंचायत का चुनाव करवाना चाहती है। जबकि राज्य निर्वाचन आयोग ने यह कहा है कि जब तक राज्य सरकार की सहमति नहीं हो निर्वाचन आयोग चुनाव नहीं करवा सकता है, केवल राज्य सरकार की सलाह पर ही चुनाव आयोग द्वारा पंचायती राज एवं नगर निगम के चुनाव करवाए जा सकते हैं। राज्य में ओबीसी आयोग का गठन भी काफी देरी से किया गया जबकि माननीय उच्चत्तम न्यायालय का वर्ष 2022 का फैसला है कि ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के पश्चात ही नगर निकाय और पंचायत राज के चुनाव में ओबीसी वर्ग को ओबीसी आयोग के सिफारिश अनुसार आरक्षण दिया जाए, किंतु राज्य सरकार ने केवल चुनाव टालने के लिए देरी से ओबीसी आयोग का गठन किया और उन्हें कोई संसाधन भी उपलब्ध नहीं करवाए जिस कारण आज तक ओबीसी आयोग की रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं हो सकी और राज्य सरकार को पंचायती राज में नगर निकायों के चुनाव टालने का एक आधार मिल गया। अप्रैल, 2025 में ओबीसी आयोग का गठन किया गया जबकि चुनाव तो नवंबर 2024 में ड्यू हो गए थे और आज भी ओबीसी आयोग के पास कोई संसाधन नहीं है इसलिए ओबीसी आरक्षण के लिए आज तक सर्वे का कार्य नहीं हो सका। राज्य सरकार ने कोई बजट भी नहीं दिया और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त बीएलए का उपयोग कर सर्वे करने की इजाजत भी अभी तक सरकार ने नहीं दी है क्योंकि जब तक राज्य सरकार इजाजत ना दे किसी बीएलओ को सर्वे के लिए काम में नहीं लिया जा सकता, इसका सीधा-साधा अर्थ यह है कि वन स्टेट-वन इलेक्शन सिर्फ जुमला था और चुनाव टालने के लिए इस्तेमाल किया गया। परिसीमन जानबूझकर नहीं करवाया गया क्योंकि चुनाव टालने थे। ओबीसी आयोग की नियुक्ति में देरी की गई और उन्हें कार्मिक नहीं दिए जा रहे क्योंकि चुनाव को टालना था और अब एसआईआर की घोषणा राजस्थान की भाजपा सरकार ने कहकर करवाई है, लिखित में दिया गया है कि हमारे यहां पंचायती राज और नगर निकायों के चुनाव फरवरी से पहले नहीं हो रहे एसआईआर कर दी जाएं वरना चुनाव आयोग का यह नियम है कि जिस प्रदेश में चुनाव है वहां एसआईआर नहीं होता है यह केवल प्रदेश में पंचायती राज और नगर निकायों के चुनाव टालने के लिए ही करवायी गई है। कांग्रेस पार्टी सरकार से प्रश्न करती है कि जब प्रदेश में नगर निकाय और पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव ड्यू है तो भाजपा की प्रदेश सरकार ने किस आधार पर केंद्र सरकार से निर्वाचन आयोग को लिख कर दिया कि हमारे यहां चुनाव पेंडिंग नहीं है।
कैबिनेट सब कमेटी के सदस्य कैबिनेट मंत्री श्री अविनाश गहलोत कहते हैं कि नगर निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव नवंबर में करवा दिए जाएंगे फिर कैबिनेट मंत्री श्री झाबर सिंह खर्रा ने कथन किया कि दिसंबर में चुनाव करवा देंगे उसके पश्चात यही कैबिनेट मंत्री दिसंबर 2025 में वन स्टेट-वन इलेक्शन की तर्ज पर चुनाव कराने की बात कहते हैं और उसके बाद जनवरी में चुनाव कराने की बात कही गई और अब फरवरी तक किसी भी प्रकार से चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की जा सकती क्योंकि 7 फरवरी तक तो प्रदेश के सभी वोटर लिस्ट चुनाव आयोग द्वारा फ्रीज कर दी गई है सारे कार्मिक एसआईआर में लगेंगे इसलिए ओबीसी आयोग का सर्वे का काम भी पूरा नहीं हो पाएगा और राज्य सरकार ओबीसी आयोग को किसी भी प्रकार का संसाधन और मैनपॉवर नहीं देगी फिर फरवरी में बजट आ जाएगा और उसके पश्चात जुलाई से पहले राज्य सरकार किसी भी तरह से प्रदेश के नगर निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं के वार्डाे का पुनर्गठन व सीमांकन नहीं करेगी ना इकाइयों के गठन का नोटिफिकेशन जारी होगा ना ओबीसी की गणना आयोग द्वारा हो पाएगी और लॉटरी भी नहीं निकल पाएगी, यह सोची समझी साजिश के तहत प्रदेश में एसआईआर करवाया जा रहा है ताकि पंचायती राज और नगर निकायों के चुनाव और आगे टाले जा सके क्योंकि भाजपा ने यह ट्रेंड चला दिया है कि वोट चोरी करो और राज करो कांग्रेस नेता श्री राहुल गांधी जी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि जहां भी चुनाव गलत तरीके से कराए जाते हैं वहां गलत तरीके से वोटर जोडे़ गए पाए जाते हैं, बीजेपी के विपक्ष में मतदान करने वाले वोटर हैं उनके नामों को अधिक से अधिक काटा जाता है यह उदाहरण हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में खुलकर सामने आया है और अब भाजपा के नेता यह खेल राजस्थान में करना चाहते हैं। नियम विरूद्ध एसआईआर को राजस्थान पर थोपा गया है और भाजपा वोट चोरी कर चुनाव लड़ना चाहती है।
भाजपा ने नगर निकाय और पंचायती राज पूरी तरह से ब्यूरोक्रेसी के हवाले कर दिया है जिसके कारण ना तो राज्य वित्त आयोग से इसकी फंडिंग मिलेगी नहीं नगर निकाय में कोई पैसा मिलेगा और भारत सरकार भी नगर निकायों के और पंचायत के लिए फंडिंग का पैसा नहीं देगी क्यूंकि चुनाव नहीं हुए हैं। देश के संविधान के अनुच्छेद 243 ई में पंचायती राज संस्थाओं तथा 243 यू में नगर निकायों के लिए स्पष्ट प्रावधान है कि यदि इन संस्थाओं के 5 साल के कार्यकाल पूर्ण होने पर चुनाव नहीं हुए तो यह संवैधानिक रूप से गलत होगा और संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध है लेकिन भाजपा को संविधान की कोई परवाह नहीं है। जब विधायक और सांसद के इसी संविधान के प्रावधान के अनुसार चुनाव समय पर होते हैं तो नगर निकायों व पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव 5 साल का कार्यकाल समाप्त होने पर क्यों नहीं करवाये जा रहे है इसका जवाब भाजपा सरकार को जनता को देना चाहिए?
श्री डोटासरा ने कहा कि लगभग दिसंबर, 2025 में समस्त नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है 222 पंचायत समितियांें का कार्यकाल दिसंबर 2025 में समाप्त हो जाएगा और यह प्रशासकों के हवाले हो जाएंगे। 11310 ग्राम पंचायतें प्रशासकों के हवाले पहले ही हो चुकी है और 21 जिला परिषद भी दिसंबर में प्रशासकों के हवाले हो जाएंगी। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद न तो ओबीसी आयोग का गठन कर गणना करवाई, तीन माह का समय ओबीसी आयोग को दिया गया था किंतु आज दिन तक ओबीसी आयोग का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार किसी भी रूप में जुलाई-अगस्त से पहले पंचायती राज और नगर निकायों के चुनाव नहीं करवाएगी क्योंकि इस माह से पहले वन स्टेट-वन इलेक्शन से चुनाव नहीं हो सकते क्योंकि चार जिला परिषद और 122 पंचायत समितियां का कार्यकाल दिसंबर 2026 तक पूर्ण होगा ऐसे में 6 माह की अवधि से पूर्व यदि इनका विघटन भी कर दिया गया तो सिर्फ शेष अवधि के लिए ही चुनाव करवाए जा सकेंगे। इसका तात्पर्य है कि नगर निकाय व पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव 5 वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर ही हो सकता है यदि इस अवधि के पूर्ण होने में 6 माह से अधिक का समय है और विघटन कर दिया जाए तो केवल उस अवधि के लिए ही चुनाव हो सकता है मुख्य चुनाव नहीं हो सकता इसलिए सरकार की मंशा स्पष्ट दिखाई दे रही है कि वन स्टेट-वन इलेक्शन के नाम पर अगस्त 2026 से पहले यह सरकार चुनाव नहीं करवाएगी।
राजस्थान की भाजपा सरकार व भाजपा नेताओं ने प्रदेश में एसआईआर केवल पंचायती राज और नगर निकायों संस्थानों के चुनाव टालने, उनके बजट को छीनने और वोट चोरी करने के उद्देश्य से ही घोषणा करवाई है ताकि ना बांस रहे-ना बांसुरी बजे अर्थात् न चुनाव करवाना पड़े ना ही भाजपा सरकार की पोल खुले और सरकार में बैठे लोगों की पोल ना खुले क्योंकि पौने दो साल में राज्य सरकार ने प्रदेश के विकास के लिए कोई कार्य नहीं किया अपनी इस नाकामी को छुपाने के लिए ही एसआईआर के माध्यम से राजस्थान में नगर निकाय व पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव भाजपा टाल रही है। मुख्यमंत्री जी लगातार दिल्ली के दौरे कर रहे हैं, अन्य मंत्री अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं अपने विभाग और विषयवस्तु की मंत्रियों को कोई जानकारी नहीं होती और गवर्नेंस से सरकार का कोई नाता ही नहीं शेष रहा है। सुशासन सरकार दिखा नहीं पा रही प्रदेश में आए दिन हत्या, लूट, बलात्कार, बजरी चोरी की खबरें सुर्खियां बन रही है प्रदेश में अपराध का मकड़जाल फैल गया है।
भाजपा सरकार ने प्रदेश में नगर निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं को लेकर एक ही काम किया है यदि कोई कांग्रेस का जनप्रतिनिधि अच्छा काम करते हुए नजर आए तो उसके खिलाफ कार्रवाई कर दें पिछले 22 महीने के अंदर 22 नगर निकायों के चैयरमेनों को हटा दिया और जब कांग्रेस के यह नेता न्यायालय से ज्यूडिशल इंक्वारी से बरी होकर के आ गए तो उन्हें फिर अगले दिन हटा देते हैं ऐसे ही उदाहरण नोहर की नगरपालिका अध्यक्ष हो या लाडपुरा के प्रधान का ले लीजिए बाईज्जत कोर्ट ने बहाल किया दो दिन बाद उन्हें बिना नोटिस दिए हटा दिया और न्यायालय में इस पर यह टिप्पणी आती है कि जिस जांच रिपोर्ट के आधार पर बहाल करने का फैसला दिया इस जांच रिपोर्ट के आधार पर क्यों दोबारा इन्हें पद से हटाया गया है लेकिन भाजपा के पास कोई जवाब नहीं है। भाजपा सरकार 2 वर्ष बीतने के बाद भी भरतपुर जिला प्रमुख का चुनाव नहीं करवा सकी, बड़ी देरी से श्रीगंगानगर में जिला प्रमुख का चुनाव करवाया और भाजपा के मात्र चार वोट आए और अब बीकानेर में पंचायत समिति में तो हद कर दी 8 महीने हो गए प्रधान का चुनाव नहीं हो रहा, चुनाव का कार्यक्रम जारी हुआ तो सीएमओ के आदेश पर बीकानेर में सरकारी वकील ने यह लिख कर दिया कि कोर्ट में बहस हो गई है स्टे नहीं मिला है लेकिन जज साहब ने मौखिक रूप से कहा है कि चुनाव न करवाये जाएं कोई भी फैसला आ सकता है केवल इस टिप्पणी पर ही 2 महीने से चुनाव टाले हुए हैं जबकि कोर्ट में कोई स्टे नहीं है यह भाजपा सरकार की कार्य प्रणाली है।
भारतीय जनता पार्टी एसआईआर के माध्यम से वोट चोरी करके सरकार बनाना चाहती है। चाहे वह पंचायती राज और नगर निकाय की स्थानीय सरकार ही क्यों ना हो जिस तरह से केंद्र में वोट चोरी करके सरकार बनाई महाराष्ट्र, हरियाणा में बनायी इस तरह से देश में पंचायती राज और नगर निकायों में वोट चोरी कर चुनाव जीतना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने पूरी कमर कस रखी है भाजपा को पूरा जवाब दिया जाएगा प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने 52000 में से 51000 से अधिक बीएलए बना दिए हैं और शेष भी दो दिन में बन जाएंगे हर बूथ पर कांग्रेस पार्टी का बीएलए रहेगा और 200 की 200 विधानसभा क्षेत्र में एसआईआर की निगरानी हेतु ऑब्जर्वर लगाए जाएंगे और यह सभी ऑब्जर्वर अपने-अपने क्षेत्र में भाजपा की बेईमानी को रोकेंगे। भाजपा सरकार कब तक चुनाव टालेगी सरकार को पंचायती राज और नगर निकाय चुनाव तो करवाने ही पड़ेंगे और उस वक्त जनता के समक्ष भाजपा की पोल खुल जाएगी, उनका झूठा आवरण उतर जाएगा आखिर कब तक भाजपा ब्यूरोक्रेसी के माध्यम से सरकार चलाएगी।

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