पार्षद दल की तरफ से महापौर की गिरफ्तारी की उठी मांग।

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डोटासरा से मिलकर पार्षदों के प्रतिनिधि मंडल ने कांग्रेस पार्षद दल का बहुमत खो चुकी भ्रष्टाचार में लिप्त महापौर को गिरफ्तार करने की मांग की।जयपुर 28 अगस्त,भ्रष्टाचार में लिप्त निलंबित महापौर मुनेश गुर्जर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हेरिटेज निगम के 37 पार्षदों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन को लेकर पार्षदों के एक प्रतिनिधि मंडल ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से मिलकर मुनेश गुर्जर की गिरफ्तारी का ज्ञापन प्रस्तुत किया। पार्षदों के प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को कहा कि भ्रष्टाचार की मूर्ति मुनेश गुर्जर ने पूरी कांग्रेस को बदनाम कर दिया है, मुनेश गुर्जर के पति सुशील गुर्जर और उसके दलालों द्वारा मुनेश गुर्जर की उपस्थिति में महापौर के इशारे पर लाखों रुपए लेते थे और इसके बाद महापौर इन सभी फाइलों पर साइन करती थी। यह सारा भ्रष्टाचार का वाकया छह बार एसिड की रिकॉर्डिंग में सत्यापित हुआ है इसके बावजूद महापौर को गिरफ्तार करने की बजाय महापौर के पति, पिए को और एक दलाल को गिरफ्तार करने के बाद आज तक एसीडी द्वारा मुनेश गुर्जर की गिरफ्तारी नहीं करने से सरकार की जीरो टॉलरेंस पर जनता सवाल उठा रही है। महापौर के घर पर उसी के इशारे पर उसके साइनो से उसकी उपस्थिति में पैसे लिए जाते थे, इसके बाद भी अब तक महापौर की गिरफ्तारी नहीं होने से जनता में गलत संदेश जा रहा है, इसलिए महापौर को तुरंत प्रभाव से गिरफ्तार किया जाए तथा जिन 300 लोगों ने एसीडी के पोर्टल पर एसीडी की कार्रवाई के बाद सीधी शिकायतें दर्ज करवाई हैं उनके पैसे उन्हें वापस दिलाएं जाए, महापौर के सभी लोकरों की जांच की जाए और इन ढाई सालों में महापौर के साथ मिलकर भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जाए। पार्षदों ने प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से कहा कि आज तक एसीडी ने जब भी कार्रवाई की है तो मौके से मुख्य पब्लिक सर्वेंट को हमेशा गिरफ्तार किया है तो इस बार महापौर को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? जबकि सभी परिवादियों ने महापौर द्वारा भ्रष्टाचार के पैसे लेने की बात की है। इसलिए इसे तुरंत प्रभाव से गिरफ्तार किया जाए।इस महापौर ने कांग्रेस सरकार के निलंबन के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देकर प्रोसीजर की मानवीय भूल से स्टे का फायदा उठा लिया तथा जो महापौर कांग्रेस सरकार के आदेश के खिलाफ स्टे ले रही है वह कांग्रेस की कभी भी सगी नहीं हो सकती और नगर निगम कांग्रेस के 80% पार्षद इसकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। इसने पार्षदों का बहुमत भी खो दिया है लेकिन इसने नैतिकता पूरी तरह से छोड़ दी है यदि इसमें नैतिकता होती तो कांग्रेस सरकार के फैसले को चुनौती देने की बजाय नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देती लेकिन यह तो चोरी और ऊपर से सीना जोरी का काम कर रही है इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

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