श्रीरूप गोस्वामी जी महोत्सव। श्री गोविंद देव जी मंदिर जयपुर

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श्रीरूप गोस्वामी जी महोत्सव
कलियुग पावनावतार श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रिय शिष्य प्रसिद्ध गोस्वामीगणों में अन्यतम स्थान है श्रीरूप गोस्वामी पाद का। महाप्रभु के भक्ति-सिद्धान्तों को मानव-मात्र को सुलभ कराने हेतु भक्ति-शास्त्रों की रचना की। भक्तिरसामृतसिन्धु, उज्ज्वल नीलमणि, नाटक, काव्य, अनेक ग्रंथों का प्रकाश किया।
किन्तु श्री रूप गोस्वामी जी की सर्वोपरि सेवा थी श्रीगोविन्दजी के श्रीविग्रह को वृन्दावन में प्रकट कर उनकी विधिवत् पूजा-अर्चना की स्थापना करना। श्रीरूप सेवित श्रीराधागोविन्द जी जयपुर में विराजित होकर भक्तों को सुख प्रदान कर रहे हैं। श्रावण शु. द्वादशी को श्रीरूप गोस्वामीजी का उत्सव बहुत धूमधाम से सम्पन्न होगा।चौंसठ महन्त भोग श्रीचैतन्य सम्प्रदाय में श्रील रूप गोस्वामी तीरोभाव जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर उत्सव मनाने की विशेष विधि है, जिसे “चौंसठ महन्त भोग” सेवा कहते हैं। श्रीचैतन्य महाप्रभु स्वयं अपने पार्षदों, भक्तों के साथ रथयात्रा उत्सव के पहले ‘गुण्डिचा-मार्जन’ के बाद सह-भोज करते थे।
उसी परम्परा में महाप्रभु तथा उनके मुख्य पार्षदों- महान्तों का विशेष भोग लगाया जाता है। महाप्रभु सहित पंचतत्व, अष्ट कविराज, छह चक्रवर्ती, द्वादश गोपाल एवं विभिन्न गुरुजनों का नाम सहित आसन, वस्त्र, भोग की पत्तल, माला, भेंट आदि वरिष्ठता के क्रम से सजायी जाती है। भोग पश्चात् उसके दर्शनों का महत्व है।
यद्यपि नाम चौसठ महन्त भोग’ है, किन्तु २०० से अधिक महान्तों को भोग अर्पित होता है।
श्री वृन्दावन धाम में श्रीगोविन्द मन्दिर की पूर्वदिशा में “चौसठ महन्त समाधि स्थान है, जो जयपुर श्रीगोविन्द मन्दिर के अधीन है।
इस ही परंपरा को अक्षुण्ण रखते हुए श्रील रूप गोस्वामी जी के वंशज श्री राधा गोविन्द देवजी के वर्तमान गोस्वामी श्री अंजन कुमार गोस्वामी जी महाराज जी के सानिध्य में आज ग्वाल झांकी में चौंसठ महंत भोग झांकी के पावन दर्शन होंगे। जिसमें सप्त देवालयों, महाप्रभु जी एवं अन्य महंतों / आचार्यों सहित श्रील प्रद्युम्न देव गोस्वामी जी को भी भोग अर्पण किया गया।
संध्या झांकी में श्रील रूप गोस्वामी जी के चित्रपट के साथ श्रीमन्माध्व गौडेश्वर संकीर्तन मण्डल एवं मंदिर परिकरजन मंदिर परिक्रमा पश्चात उत्सव मनाएंगे।

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