भाग्य बिन जग में मिले ना संता, संत बिना मिले ना भगवन्ता: संत मोनूराम महाराज 47 वे महानिर्वाण पुण्य तिथि उत्सव का हुआ समापन होम्योपैथिक चिकित्सा शिविर का हुआ आयोजन जयपुर। आस्था के पावन तीर्थ श्री अमरापुर स्थान जयपुर में आचार्य सदगुरू स्वामी टेऊराम जी महाराज के परम शिष्य महर्षि सतगुरु स्वामी सर्वानंद जी महाराज का 47 वा महनिर्वाण उत्सव श्रद्धा भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ, उत्सव के उपलक्ष में प्रातः काल की वेला में नित्य नियम प्रार्थना, संत महात्माओं का भजन सतसंग, स्वामी मनोहर लाल महाराज, संत मोनूराम महाराज, संत नवीन , संत गुरुदास, संत हरीश आदि संतो ने गुरु गुणगान किया ,, तत्पश्चात श्रीमद् भागवत गीता एवं प्रेम प्रकाश ग्रंथ साहिब के पाठों का भोग परायण हुआ।संत मोनूराम महाराज ने अपने प्रवचन के अंतर्गत बताया कि जब मनुष्य के पूर्व जन्म के भाग्य उदय होते हैं और जब उसका नसीब जागता है तब संत महात्माओं के दर्शन प्राप्त होते हैं उनका सानिध्य मिलता है और उनके सानिध्य दर्शन से ही भगवत नाम की प्राप्ति होती है।संतों ने बताया कि सदैव हमें सद्गुरु के नाम का आधारा रखना चाहिए क्योंकि वही एक नाम है जो इस संसार से हमें भाव पार उतरता है।कर भरोसा सतगुरु नाम का, धोखा कभी ना खाएगा, हर घड़ी में सतगुरु को अपने, संग सबसे पहले पाएगा,उत्सव की समाप्ति पर हजारों प्रेमियों ने भंडारा प्रसादी चखी ।पंच दिवसीय उत्सव के समापन पर होम्योपैथिक चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत सैकड़ों भक्त प्रेमी श्रद्धालु लाभान्वित हुए। सदगुरु टेऊंराम चौथ महोत्सव
सायं काल के समय सद्गुरु स्वामी टेंऊराम जी महाराज का मासिक जन्मोत्सव चौथ पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। महिला मंडल द्वारा सामूहिक चालीसा, जन्म साखी का पाठ किया गया। सतनाम साक्षी मंत्र जप संत महात्माओं द्वारा आचार्य श्री के विग्रह के समक्ष 56 भोग का थाल अर्पित कर पूजा अर्चना की गई।
सतगुरु स्वामी सर्वानंद महाराज जी की पुण्यतिथि उत्सव का समापन
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