जयपुर अमरापुर दरबार मैं विशेष 25 मई 202श्री प्रेम प्रकाश पंथ के पुरोधा- संथापक. युगपुरुष आचार्य सद्गुरु श्री स्वामी टेऊँराम जी महाराज सन्त समाज के सुधारक और जीवों के उद्धारक होते हैं ! भारत वर्ष में सन्तो की एक सुदीर्ध परम्परा है ! इसी अनमोल मोत्तिक माला में एक रत्न *सन्त शिरोमणि सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज” एक परम सिद्ध संत हुए हैं ! इनका जन्म विक्रम संवत 1944 में आषाढ़ शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि, सन 1887, शनिवार, सिन्ध प्रांत के “खण्डू ग्राम” में हुआ था ! इनकी माता का नाम कृष्णा देवी और पिता का नाम श्री चेलाराम था ! इनके माता-पिता धर्मात्मा, संत सेवी और सत्संग प्रिय थे ! अतः बाल्यकाल से ही इन्हे धार्मिक वातावरण प्राप्त हुआ ! अल्पायु में ही पिता का आशीर्वाद और आश्रय से वंचित सद्गुरु टेऊँराम जी महाराज ने खेती-बाड़ी व व्यापार का कार्यभार भी संभाला था ! किन्तु वहां पर भी संत- महात्माओं को बैठाकर भजन- सत्संग गंगा प्रवाहित करवा दी ! जिनका मन परमात्मा में रम गया है उन्हें भला संसारिक कार्यो से क्या काम ! लगन लगी जब राम से- क्या लोकन से कामअतः इस कालखण्ड में भी वे जीवन भर विरक्त रहकर सन्त सेवा, ? गौ सेवा, अतिथि सेवा और ईश्वर भक्ति में तल्लीन रहते थे ! जब वे सिन्धु नदी के तट पर योगस्थ होते थे ! तब पशु पक्षी भी इनके पास आकर बैठ जाते थे और जब ये ?इकतारा लेकर ओजस्वी वाणी में सत्संग – भजन – संकीर्तन करते थे ! तब सभी लोग अपना- अपना कार्यभार छोड़कर वहांँ इकट्ठे होकर ध्यान- मग्न हो जाते थे ! स्वामीजी के दीक्षा गुरु *दादा साईं आसूराम जी महाराज” थे !आचार्य श्री सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज तीस वर्ष की अवस्था में “हिन्दू सनातन धर्म” की पताका फैलाकर श्री प्रेम प्रकाश संप्रदाय”की स्थापना कर श्री अमरापुर स्थान” एवं “श्री प्रेम प्रकाश आश्रम” के नाम से सत्संग स्थलो की स्थापना की ! सद्गुरु महाराज जी ने सतनाम साक्षी महामंत्र की दीक्षा देकर सांसारिक कल्याण हेतु भक्तजनो को सतमार्ग दिखाया ! इनकी अनुभव वाणी का विशाल श्री प्रेम प्रकाश ग्रंथ” आध्यात्मिक महाकाव्य है ! जिसमें ब्रद्मदर्शनी, दोहावली, कवितावली, छन्दावली, भजन, पद व सलोक माला आदि है ! इनकी प्रमुख रचना श्री अमरापुर वाणी (भजन माला) लोक विख्यात है ! सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज परम सिद्ध संत और युगपुरुष थे ! *वे 55 वर्ष की अल्पायु में ही योगस्थ होकर परम धाम को प्राप्त हो गये ! आप अमर चरित्र अमर, अमर आपका नाम !तब शरणागत भी अमर,धनगुरु टेऊँराम !! ऐसे परम वैरागी तेजपुंज महापुरुष जिन्होंने जीवों को सत्यमार्ग की राह दिखाकर सभी के कल्याण की कामना की ! श्री प्रेम प्रकाश संप्रदायाचार्य की इस अलौकिक, दुर्लभ दिव्य महाविभुति को कोटिश: नमन और वन्दन है !!!महाराज श्री का पावन तीर्थ स्थल महायोगी तपस्वी श्री सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज का पावन तीर्थ स्थल जयपुर में “श्री अमरापुर स्थान (डिब)”के नाम से सुविख्यात है ! इस स्थल पर भव्य श्री मंदिर, ग्रन्थ कक्ष , भगवान श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर , श्री अमरापुरेश्वर मंदिर, अमरापुर गौशाला एवं समाधि स्थल बने हुए हैं ! आज प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु इस प्रवित्र तीर्थ स्थल के दर्शन करके अपने जीवन को धन्य धन्य बनाते हैं ! सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज द्वारा रचित ग्रंथावली श्री प्रेम प्रकाश ग्रंथ (795 पृष्ठीय आध्यात्मिक महाग्रंथ) , श्री प्रेम प्रकाश दोहावली (1375 दोहे) , श्री ब्रद्मदर्शनी (250 ब्रद्म पद) , श्री कवितावली – छन्दावली (पद – छन्द) , श्री अमरापुर वाणी (हिन्दी – सिन्धी भजन संग्रह) , सलोक माला (108 सलोक) , सोलह शिक्षाएं , शान्ति के दोहे , अमर कथा आदि अनुभवी वाणी का अमूल्य खजाना महाराज श्री” द्वारा रचित है ! “महाराज श्री” के नाम की कुछ पावन स्मृतियां जयपुर में विशाल सद्गुरु टेऊँराम गोशाला, उज्जैन में सद्गुरु टेऊँराम घाट, रामेश्वर धाम में सद्गुरु टेऊँराम घाट (अग्नितीर्थम),हरिद्वार में सतनाम साक्षी घाट, श्री अमरापुर घाट, श्री प्रेम प्रकाश घाट, सद्गुरु टेऊँराम चौक (भीमगोडा), अमरापुर अरावली एक्सप्रेस ट्रेन का नाम आदि इसी के साथ उद्यान, विद्यालय, सर्किल, चौक, पथ, मार्ग, ऐसे ही अनेक स्थान विभिन्न शहरों में बने हुए है ! साथ ही महाराज श्री” के नाम से अनेक सेवा कार्य हॉस्पिटल, गौशाला, सेवा केन्द्र, शव वाहन, एम्बुलेंस, मोचुरीबॉक्स, अन्नक्षेत्र आदि ! विश्व के प्रसिद्ध जाने माने कैलेण्डरों व पंचांगो में “सद्गुरु टेऊँराम जयन्ती” को स्थान मिला है ! प्रेम प्रकाशी संत मोनूराम श्री अमरापुर स्थान जयपुर।
सदगुरु स्वामी टेऊराम पुण्य तिथि 25 मई अमरापुर दरबार।
(Visited 92 times, 1 visits today)