राजस्थानी लोक गीत और पाशचात्य् संगीत की जुगलबंदी ने दर्शकों को बनाया दिवाना जाजम फाउन्डेशन के 17 लोक एवं पाशचात्य् संगीत कलाकारों ने जुगबंदी की जयपुर, 25 जनवरी, 2025। राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा राजस्थान की पारंपरिक और सांस्कृतिक लोक कला एवं कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए की गई पहल “कल्चरल डायरीज़”के चौथे संस्करण में आज दिनांक 25 जनवरी को अल्बर्ट हॉल पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में पारंपरिक लोक कला और पाशचात्य् संगीत कला की जुगलबंदी देखने को मिली।आज के इस फ्यूज़न ऑफ राजस्थानी फोक इंस्ट्रूमेंटस् एण्ड वैस्टर्न इंस्ट्रूमेंटस् कार्यक्रम की प्रस्तुति दो भागों में की गई। कार्यक्रम के प्रथम भाग में राजस्थान की 4 पारंपरिक जातियां, मांगणियार, लंगा, दमामी और सपेरा (जो कि कालबेलिया के नाम से भी प्रचलित है) के “असपत की सवारी…….. (जो कि एक स्वागत गीत है)” करियो सांवले रंग का…….” “हरियाल्ड़ो बना……..” “कोड़ा करै माहरी माँ…….” “खम्मा घणी……” “बिछूड़ो……..” “जलालो बिलालो……..” जैसे लोक गीतों की प्रस्तुति दी गई। इन लोक गीतों के प्रस्तुतिकरण में कामायचा, सिंधि सारंगी, ढोलक, ढोल, भपंग, मोरचंग, खड़ताल, नगाड़ा आदि वाद्य् यंत्रों का उपयोग किया गया। कार्यक्रम का पहला भाग लगभग 45 मिनिट का रहा।कार्यक्रम का दूसरा भाग भी अत्यंत मनमोहक रहा। कार्यक्रम के इस भाग में राजस्थानी लोक कलाकारों के “केसरिया बालम…….” “झिरमिर बरसे मेह……..” “पणिहारी……..” और एक सूफी गीत, “मंूडी तूही……..” लोक गीतों पर पाशचात्य् संगीत और सैक्सोफोन, गिटार, क्लैपबॉक्स, ड्रमसैट आदि पाशचात्य् वाद्यय् यंत्रों के साथ जुगलबंदी प्रस्तुत की गई, जिसने दर्शकों को दिवाना बनाकर झूमने पर विवश कर दिया।
आज की इस मनमोहक शाम की प्रस्तुति जाजम फाउन्डेशन के निदेशक विनोद जोशी और उनके 17 लोक एवं पाशचात्य कालाकारों द्वारा की गई। जयपुर के अल्बर्ट हॉल पर आम जनता के साथ-साथ बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानियों ने भी इस रंगारंग कार्यक्रम का आन्नद लिया। इस अवसर पर पर्यटन विभाग की संयुक्त निदेशक, डॉ पुनीता सिंह, उप निदेशक श्री नवल किशोर बसवाल सहित विभाग के अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहे।
राजस्थान पर्यटन विभाग की पहल “कल्चरल डायरीज”का अगला व पांचवां संस्करण दिनांक 7 व 8 फरवरी 2025 को आयोजित किया जाएगा।कल्चरल डायरीज” का उद्देश्यः
उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी की पहल पर शुरू की गई यह सांस्कृतिक श्रृंखला राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित की जा रही है। हर पखवाड़े होने वाले इन आयोजनों का उद्देश्य राजस्थान की कला और संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है।
राजस्थानी लोक गीत ने दर्शकों को बनाया दीवाना
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