क्या वाकई राष्ट्रीय चिह्न के शेर को बदला गया? जानें अशोक स्तंभ का इतिहास और पूरा विवाद

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नए संसद भवन की छत पर बने अशोक स्तंभ से जुड़ा विवाद गहराता जा रहा है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका अनावरण किया। विपक्ष ने इसे लेकर कई आरोप लगाए हैं। विपक्ष का दावा है कि नया स्तंभ मूल अशोक स्तंभ की आकृति में छेड़छाड़ करके बनाया गया है।

आइये जानते हैं नए स्तंभ की क्या खासियत है? इसकी आकृति को लेकर किस तरह का विवाद है? मूल अशोक स्तंभ का इतिहास क्या है और ये कहां स्थित है? अशोक स्तंभ का इस्तेमाल कहां-कहां होता है? इस स्तंभ को राष्ट्रीय चिह्न का दर्जा कब मिला? राष्ट्रीय चिह्न को लेकर हमारा कानून क्या कहता है?

नए स्तंभ की क्या खासियत है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस विशाल अशोक स्तंभ का अनावरण किया उसका वजन 9500 किलोग्राम है। कांस्य से बने इस राष्ट्रीय चिह्न की ऊंचाई 6.5 मीटर है। देश के विभिन्न हिस्सों के 100 से अधिक कारीगरों और शिल्पकारों ने इसे तैयार किया है। इसे बनाने में नौ महीने से अधिक का वक्त लगा। उच्च शुद्धता वाले कांस्य से बने प्रतीक को जमीन से 33 मीटर ऊपर स्थापित किया गया है।

इसे सहारा देने वाले ढांचे समेत इसका कुल वजन 16,000 किलोग्राम है। राष्ट्रीय प्रतीक का वजन 9,500 किलोग्राम है और इसे सहारा देने वाले ढांचे का वजन 6,500 किलोग्राम है। नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक लगाने का काम आठ अलग-अलग चरणों से पूरा किया गया। इसमें मिट्टी से मॉडल बनाने से लेकर कंप्यूटर ग्राफिक तैयार करना और कांस्य निर्मित आकृति को पॉलिश करना शामिल है।

 

इसकी आकृति को लेकर किस तरह का विवाद है?

विवाद अशोक स्तंभ में लगे शेर की मुद्रा पर हो रहा है। विपक्ष का आरोप है कि राष्ट्रीय चिह्न में जो शेर हैं वो शांत हैं, उनका मुंह बंद है। वहीं, नए संसद भवन में लगे अशोक स्तंभ के शेर आक्रामक दिखते हैं, उनका मुंह खुला हुआ है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया कि अब सत्यमेव जयते से सिंहमेव जयते की ओर जा रहे हैं।

मूल अशोक स्तंभ का इतिहास क्या है और ये कहां स्थित है?

अशोक स्तंभ की कहानी 273 ईसा पूर्व में शुरू होती है। उस वक्त मौर्य वंश के तीसरे शासक सम्राट अशोक का शासन था। सम्राट अशोक का साम्राज्य तक्षशिला से मैसूर तक, बांग्लादेश से ईरान तक फैला हुआ था। अपने शासनकाल में अशोक ने कई जगहों पर स्तंभ स्थापित करवाए। इसके जरिए उन्होंने ये संदेश दिया कि यह राज्य उनके अधीन है।

इन स्तंभों में शेर की आकृति बनी है। वाराणसी के नजदीक सारनाथ और भोपाल के करीब सांची में बने स्तंभ में शेर शांत दिखते हैं। कहा जाता है कि ये दोनों प्रतीक अशोक के बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद बनवाए गए थे। राष्ट्रीय चिह्न के रूप में स्वीकार किए गए अशोक स्तंभ को सारनाथ से लिया गया है।

इस स्तंभ के शीर्ष पर चार शेर बैठे हैं और सभी की पीठ एक दूसरे से सटी हुई है। राजचिह्न में चार शेर हैं, पर इसमें से सिर्फ तीन ही दिखाई देते हैं। एक शेर आकृति के पीछे छिप जाता है। अशोक स्तंभ के चार शेर शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक हैं।

राष्ट्रीय चिह्न में एक और चीज जो अशोक स्तंभ से ली गई है, वो है अशोक चक्र। अशोक चक्र को राष्ट्रध्वज में देखा जाता है। यह बौद्ध धर्मचक्र का चित्रण है। इसमें 24 तीलियां हैं। अशोक चक्र को कर्तव्य का पहिया भी कहा जाता है। इसमें मौजूद तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं। इसी चक्र को भारतीय तिरंगे के मध्य भाग में रखा गया है।

अशोक स्तंभ के निचले हिस्से पर पूर्व दिशा की ओर हाथी, पश्चिम की ओर बैल, दक्षिण की ओर घोड़ा और उत्तर की ओर शेर है। इस पूरे चिन्ह को कमल के फूल की आकृति के ऊपर उकेरा गया है। यह स्तंभ सारनाथ के पास उस जगह को चिन्हित करने के लिए बनाया गया था, जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।

 

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