भगवान श्री राम कथा संपन्न राज भवन जयपुर

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राजभवन में रामकथा की पूर्णाहुति दिव्य रामकथा से धन्य हुआ राजभवन- राज्यपाल श्री मिश्र सन्त श्री विजय कौशल महाराज ने विभीषण के राम शरण में जाने का प्रसंग सुनाया जयपुर, 31 अगस्त। राज्यपाल कलराज मिश्र ने बुधवार को राम कथा की पूर्णाहुति पर संत विजय कौशल महाराज का शब्दों के माध्यम से श्रीराम की कथा का सजीव चित्रण करने के लिए आभार जताते हुए उनका अभिनन्दन किया। इससे पहले उन्होंने रामकथा पूर्णाहुति आरती, अर्चना करते हुए भगवान श्री राम से देश और प्रदेश के सुख, समृद्धि, सम्पन्नता के साथ खुशहाली की कामना की राज्यपाल मिश्र ने कहा कि राम कथा के श्रवण मात्र से जीवन सम्पन्न, समृद्ध हो जाता है। उन्होंने  संत विजय कौशल महाराज द्वारा की गई रामकथा को दिव्य और अनुपम बताते हुए कहा कि पांच दिवसीय इस आयोजन से  राजभवन धन्य हुआ है। राज्यपाल ने कहा कि धर्म कोई एक पंथ नहीं है, धर्म तो नैतिकता और मर्यादा का प्रतीक है। संविधान की मूल प्रति में भी भगवान श्रीराम का चित्र है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कथा- प्रवचन सुनने से जीवन सुसंस्कारित बनता है और बचपन के संस्कार ताउम्र व्यक्ति के साथ रहते हैं। उन्होंने कहा कि समयाभाव के कारण वह पहले रामकथा में उपस्थित नहीं हो सके और आज अवसर मिलते ही संत विजय कौशल महाराज की रामकथा सुनने के लिए उपस्थित हो गए।पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि पांच दिन तक रामकथा होने से यहां का पूरा परिवेश ही राममय हो गया है। रामकथामृत सुनने का अवसर देने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र और संत विजय कौशल महाराज का आभार प्रकट किया। रामकथा से पहले सुप्रसिद्ध गजल और भजन गायक अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन ने विघ्नहर्ता  गणेश की सुमधुर वंदना की । उन्होंने शिव स्तुति और राधा-कृष्ण भजन का भी मधुर गान किया। संत विजय कौशल ने  बुधवार को राम कथा सुनाते हुए भजन की महिमा का गान किया। उन्होंने कहा कि हम सभी भजनानन्दी हैं। भजन में शरीर नहीं मन चिंतन करता है। भजन भगवान के स्मरण का नाद है। संत ने कहा कि धर्म की बातें करना और बात है, वहीं धर्म का पालन करना और बात है। धर्म में रुचि रखने वाला मनुष्य भी लोभ, मोह के वशीभूत होकर अन्याय और पाप का विरोध नहीं कर पाता। धर्म में रुचि रखना ही पर्याप्त नहीं है । हमें ‘धर्म शील’ बनकर अपने आचरण में धर्म को लाना चाहिए। इससे भी बढ़कर ‘धर्म प्राण’ बनते हुए धर्म के लिए जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।सन्त विजय कौशल महाराज ने रामकथा के अंतर्गत कहा कि विभीषण ने रावण को समझाते हुए कहा कि श्रीराम सिर्फ मनुष्यों के ही राजा नहीं है। वे समस्त लोकों के स्वामी और काल के भी काल हैं। वे भगवान हैं, वे अनंत ब्रह्म हैं । संपूर्ण जगत्‌ से द्रोह करने का पाप जिसे लगा है, शरण जाने पर प्रभु उसका भी त्याग नहीं करते। इसलिए आप सीता माता से क्षमा मांगकर उन्हें श्रीराम के पास भेज दीजिए ।मंदोदरी ने भी रावण को समझाया लेकिन रावण नहीं माना। रावण द्वारा अपमानित किए जाने के बाद विभीषण श्रीराम की शरण में आ गया तकनीकी शिक्षा एवं आयुर्वेद राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, सांसद घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ, पूर्व विधायक अशोक परनामी, राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती सुमन शर्मा सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन ने राम कथा का आस्वाद किया।

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