*फागुन मास में जरा बदले जीवन शैली रेखराज चौहान*
जयपुर- फागुन मास बसंत ऋतु के आगमन पर पौधों में फूलों की भरमार होती है जिससे परागकण वायु में अधिक संख्या में होते हैं इन परागकण से किसी किसी व्यक्ति को एलर्जिक प्रॉब्लम हो सकती है बदलते मौसम मे वायु में परागण मिट्टी धूल फागुन मास में रंग गुलाल मानव के श्वसन तंत्र के लिए समस्याएं उत्पन्न कर देते हैं जिससे सांस में प्रॉब्लम सर दर्द बदन टूटा टूटा रहना खांसी जुकाम हो सकती है अतः इस मौसम में इलाज से पहले बीमारी से सुरक्षा करने में ही समझदारी है इस मौसम में संक्रमण से बचने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल को फॉलो करें हाथ मिलाने के बजाय नमस्कार करें मुंह पर मास्क स्कार्फ लगाए आंखों पर चश्मा लगाए संभव हो वहां हाथों में ग्लवब्स पहने सीड्डीओ की रेलिंग अंजान स्थान पर किवाड़ों के हत्थे को छूने से बचे फिर भी संक्रमित हो जाते हैं तो योग प्राणायाम आहार चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा यूनानी चिकित्सा होम्योपैथि चिकित्सा और एलोपैथी चिकित्सा आपके पास विकल्प है जल्दी ही स्वास्थ प्राप्त करे अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं निरोगी रहे भोजन के द्वारा चिकित्सा को अपनाये पीली धूप में बैठकर तेल मालिश करें स्वस्थ रहे निरोगी रहे सतर्क रहें।
फागुन मास में बदले जीवन शैली। रेखराज चौहान
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