स्वामी सर्वानंद साहिब तेरी शान निराली है

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स्वामी सर्वानंद साहिब तेरी शान निराली है हरि नाम की मस्ती कि आंखों में तेरी लाली है इंद्रदेव ने नन्हीं नन्ही बूंद से अर्पित किए श्रद्धासुमन*
महानिर्वाण उत्सव एवं चौथ पर्व के उपलक्ष संतो ने किया ब्रह्मदर्शनी का पाठ*
जयपुर।आस्था के अटूट केंद्र श्री अमरापुर स्थान जयपुर में प्रेम प्रकाश मंडलाचार्य आचार्य सतगुरु स्वामी टेऊराम जी महाराज के परम शिष्य (द्वितीय पाद्शाही) महर्षि सद्गुरु स्वामी सर्वानंद जी महाराज का पंच दिवसीय वर्सी उत्सव का समापन 30 जुलाई (बुधवार) को श्रीमद् भागवत गीता एवं श्री प्रेम प्रकाश ग्रंथ साहिब के पाठों के भोग परायण के साथ हुआ। प्रातः 7.00 से 11 .00 बजे तक नित्य नियम प्रार्थना, संत महात्माओं द्वारा सतगुरू स्वामी सर्वानंद जी महाराज की महिमा का गुणगान , सतगुरु सर्वानंद महाराज जी की कैसेट का वाचन, आरती, पल्लव, प्रार्थना, प्रेम प्रकाश ग्रंथ, गीता के पाठों के भोग साहब आदि धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन हुए । सत्संग प्रवचन के दौरान आपने प्रवचन में पूज्य संत श्री मोनूराम जी महाराज ने बताया कि महापुरुषों का जन्म दिव्य एवं दुर्लभ होता है, महापुरुष संसार में जन्म नहीं अवतार लेकर धरा पर अवतरित होते हैं। महापुरुष कमल पुष्प की भांति होते है जिस प्रकार कमल पुष्प जल में रह कर भी उस की गहराई में नहीं जाता है उसी प्रकार संत महात्मा संसार में रहते हुए संसार की गहराई में नहीं जाते है।
जैसे जल में रहत है अह निश कमल आलेप
कहे टेंऊ तिह् जगत मे संत रहत‌ निर्लेप !!
संत महात्माओं का कार्य जीव मात्र को सही मार्ग पर लाकर उसका कल्याण करना है। महानिर्वाण दिवस पर प्रातः काल से ही इंद्रदेव ने नन्हीं नन्ही बूंद से सतगुरू स्वामी सर्वानंद जी महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित किए । प्रातः काल की भारी बारिश को भी आस्था के सैलाब के आगे झुकना पड़ा। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरु के समक्ष शीश झुकाया । पंच दिवसीय महानिर्वाण उत्सव के उपलक्ष में अनेक सेवा कार्यों के अंतर्गत अनाथ आश्रम , कुष्ठ आश्रमों, बगड़ हॉस्पिटल, आदि स्थानों पे भोजन प्रसादी फल, बिस्कुट, मिष्ठान, आदि का वितरण किया गया। सायंकाल आचार्य सतगुरू स्वामी टेऊँराम जी महाराज के मासिक जन्मोत्सव चौथ पर्व पर महिला मंडल द्वारा सतगुरू चालीसा का पाठ एवं *संत महात्माओं द्वारा संगीतमय ब्रह्मदर्शानी* का पाठ किया गया ।महानिर्वाण उत्सव एवं चौथ पर्व के उपलक्ष में जयपुर सहित अन्य शहरों से श्रद्धालुओं का दर्शन दीदार के आगमन हुआ । मंदिर परिसर में सुंदर रंगोली बना,मंदिर,समाधि स्थल को ऋतु पुष्पों से श्रृंगारित किया गया। स्वामी मनोहर लाल जी महाराज संत मोनूराम जी महाराज संत गुरुदास संत हरीश संत नवीन आदि संतो ने.. भजन संकीर्तन किया!!
संतो ने आगे बताया कि स्वामी सर्वानंद जी महाराज, एवं संतो ने गुरु महाराज जी की वाणी को संजोए कर, सदगुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज द्वारा रचित वाणी (दोहे, पद, छंद, भजन आदि ) *श्री प्रेम प्रकाश ग्रन्थ* का में प्रकाशन करवाया !! जो आज सभी भक्त लोग वाचन करते है !!

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