लाल बत्ती गाड़ी अपने आप में एक पहचान थी की कोई वि आई पी व्यक्ति इस रोड से गुजर रहा है। इसे देखकर ट्रैफिक पुलिस व आम जनता सचेत हो जाते थे और उन्हें आसानी से रास्ता भी दिया जाता था। पर आज सभी एक समान हो गए हे चाहे राज्य के मंत्री हो या विधायक हो सभी आम जनता की तरह सड़कों पर अपनी गाड़ियों में चलते हैं। आम जनता की गाड़ियों में और मंत्रियों की गाड़ी और विधायक की गाड़ियों में किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं किया जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा जो फैसला लिया गया वह सही भी है पर कहीं ना कहीं अधिक ट्रैफिक के कारण चाहे मंत्री हो चाहे विधायक हो उन्हें हैं ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है ऐसे में उनकी सुरक्षा पर भी एक सवालिया निशान खड़ा हो जाता है। कहीं ना कहीं गाड़ी पर किसी प्रकार की कोई निशानी ना होने के कारण या किसी विशेष सायरन ना होने के कारण उन्हें रोज इन मुसीबत का सामना करना पड़ता है चाहे मंत्री हो या फिर विधायक आखिर कहीं ना कहीं वह राज्य के चुने हुए खास व्यक्ति है जिन्हें आम जनता ने चुना है और बात करें मंत्री जी की तो उन्हें उन्हें उनकी काबिलियत से आधार पर सरकार उन्हें केंद्रीय मंत्री या राज्य मंत्री पद पर बिठाकर उन्हें केंद्रीय या राज्य सरकार की सेवा हेतु विशेष जिम्मेदारियां दी जाती है ऐसे में उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी केंद्र या राज्य की होती है। मंत्री हो या विधायक उन्हें रोज ही कहीं ना कहीं दौरे पर या अपने क्षेत्र के भ्रमण पर निकालना पड़ता है जिसमें उन्हें ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है। कई बार मंत्री जी हो या फिर विधायक हो उन्हें कई प्रोग्राम में काफी देर भी हो जाती है जिसका कारण यही होता है उनकी गाड़ी कहीं ना कहीं आम जनता के साथ भारी ट्रैफिक जाम में फंसी हुई रहती है। खैर हम तो यही कहेंगे की विधायक हो या मंत्री जी हो उनकी गाड़ियों पर कोई ना कोई विशेष पहचान होनी चाहिए और यह सुरक्षा की दृष्टि से भी सही होगा। और इस न्यूज़ को लिखने का उद्देश्य यही है कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार अपने मंत्री व विधायकों की गाड़ियों पर कुछ विशेष ऐसी पहचान बनाए जिससे कि जब वह खुली सड़कों पर चले तो उन्हें पहचाना जा सके और उनकी यात्रा सहज और सरल व सुरक्षित हो। जय हिंद जय भारत
मंत्रियों व विधायकों की गाड़ीयों की पहचान जरुरी है
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