देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल, ‘सीआरपीएफ’ द्वारा असम पुलिस में विश्वस्तरीय कमांडो तैयार किए जाएंगे। सीआरपीएफ डीजी ने असम पुलिस के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें ‘सशस्त्र शाखा’ की नव सृजित ‘असम कमांडो बटालियन’ के नए भर्ती हुए ‘एसआई’ व ‘सिपाहियों’ को ट्रेनिंग देने की बात कही गई थी। यह ट्रेनिंग, सीआरपीएफ के चार केंद्रों पर शुरु होगी। लगभग 43-52 सप्ताह की इस ट्रेनिंग पर 30.56 लाख रुपये खर्च होंगे।
दूसरे राज्यों में भी खड़ी हो सकती हैं ऐसी बटालियन
असम सहित उत्तर-पूर्व के कई राज्यों में उग्रवाद की समस्या के चलते असम राइफल और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। चूंकि ‘सीआरपीएफ’ यहां बड़े पैमाने पर तैनात है और उसे जंगल वारफेयर में खासी महारत हासिल है, इसलिए असम पुलिस की कमांडो बटालियन को ट्रेनिंग देने के लिए इस केंद्रीय बल से आग्रह किया गया था। सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में उत्तर-पूर्व के कई दूसरे राज्यों में भी ऐसी ही बटालियन खड़ी की जा सकती हैं। इसका मकसद, उत्तर-पूर्व के राज्यों में सेना व अर्धसैनिक बलों की तैनाती कम करना है। स्थानीय युवाओं को कमांडो की ट्रेनिंग देकर उन्हें उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में उतारा जाए। असम पुलिस की नई सृजित ‘कमांडो बटालियन’ में 2400 सिपाही भर्ती किए गए हैं। इनमें 2220 पुरुष सिपाही व 180 महिला सिपाही शामिल हैं। इन सभी को 43 सप्ताह की ट्रेनिंग दी जाएगी।
इन जगहों पर होगी ट्रेनिंग
असम पुलिस के 500 सिपाही, बिहार के राजगीर स्थित सीआरपीएफ सेंटर पर ट्रेनिंग लेंगे। यूपी के अमेठी स्थित ट्रेनिंग केंद्र पर 1000 सिपाहियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। मध्यप्रदेश के नीमच में 720 पुरुष सिपाही और 180 महिला सिपाही ट्रेनिंग लेंगे। यह ट्रेनिंग अगस्त से शुरू होगी। 320 एसआई, जिनमें 314 पुरुष और 06 महिला शामिल हैं, इन्हें मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित सेंट्रल ट्रेनिंग कालेज में प्रशिक्षण दिया जाएगा। सिपाहियों की ट्रेनिंग पर 26.40 लाख रुपये खर्च होंगे, जबकि एसआई की ट्रेनिंग के लिए 4.16 लाख रुपये जमा कराने होंगे।
सर्वाधिक वीआईपी को सुरक्षा दे रही सीआरपीएफ
‘सीआरपीएफ’ की सिक्योरिटी विंग, देश में सर्वाधिक वीआईपी (लगभग 120) को सुरक्षा मुहैया करा रही है। अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा में लगे सीआरपीएफ कमांडो बहादुरी के कई कारनामों में दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। विश्व की सबसे विशिष्ट फोर्स ‘कोबरा’ यानी (कमांडो बटालियन फॉर रिसोल्यूट एक्शन) विंग से अनेक कमांडो ‘जेड प्लस’ व अन्य सुरक्षा श्रेणी में आते रहते हैं। तीन साल पहले तक स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप ‘एसपीजी’ के दायरे में रहे पांच वीआईपी को भी अब सीआरपीएफ सुरक्षा मिली हुई है। नक्सलियों, आतंकियों से लड़ने, वीवीआईपी सुरक्षा और दूसरे बड़े ऑपरेशनों के लिए इस विशिष्ट फोर्स को खास तरह की ट्रेनिंग दी गई है। हथियार, वर्दी एवं तकनीकी उपकरणों के मामले में भी ‘कोबरा’ दूसरे सभी बलों से पूरी तरह अलग हैं। बिना किसी मदद के लगातार डेढ़ सप्ताह तक जंगलों में लड़ते रहना इस फोर्स की खासियत है।