असरानी: इंदिरा गांधी की वजह से बदली किस्मत, फिल्म ‘गुड्डी’ से मिली पहचान बचपन से ही फिल्मों के दीवाने असरानी का सपना था बड़ा पर्दे पर हीरो बनने का। स्कूल-कॉलेज के दिनों में वो चुपके-चुपके सिनेमा हॉल जाकर फिल्में देखा करते थे, पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से अभिनय की ट्रेनिंग ली और सर्टिफिकेट भी हासिल किया, लेकिन मुंबई आने के बाद असल जिंदगी में उन्हें कड़ा संघर्ष झेलना पड़ा।असरानी अपने सर्टिफिकेट के साथ फिल्म स्टूडियो और प्रोडक्शन हाउस के चक्कर लगाते रहते थे, मगर कोई भी उन्हें मौका नहीं दे रहा था। खुद असरानी ने एक इंटरव्यू में बताया था – “मैं अपना सर्टिफिकेट लेकर जाता था तो लोग कहते थे, ‘एक्टिंग के लिए सर्टिफिकेट चाहिए क्या? बड़े सितारे बिना ट्रेनिंग के हीरो बन गए, तुम कौन हो?’ और मुझे भगा देते थे।”
करीब दो साल तक असरानी को कोई काम नहीं मिला। लेकिन किस्मत ने करवट तब ली जब इंदिरा गांधी, जो उस समय सूचना और प्रसारण मंत्री थीं, पुणे के FTII के दौरे पर आईं। असरानी ने हिम्मत जुटाकर अपनी परेशानी उनके सामने रख दी। उन्होंने कहा “सर्टिफिकेट होने के बावजूद किसी फिल्ममेकर को मुझ पर भरोसा नहीं है।”इंदिरा गांधी ने उनकी बात गंभीरता से ली और कुछ प्रोड्यूसर्स को असरानी को मौका देने के लिए कहा। इसके बाद असरानी की जिंदगी का मोड़ बदल गया। जल्द ही उन्हें हृषिकेश मुखर्जी की साल 1971 में आई फिल्म ‘गुड्डी’ में जया भादुड़ी के साथ काम करने का मौका मिला। यही फिल्म उनके करियर की शुरुआत बनी।असरानी ने बाद में कहा था कि इंदिरा गांधी की वजह से ही न सिर्फ उन्हें मौका मिला बल्कि लोगों ने FTII जैसे संस्थानों को भी गंभीरता से लेना शुरू किया। ‘गुड्डी’ से लेकर ‘शोले’ और ‘चुपके-चुपके’ तक, असरानी ने अपने कॉमिक टाइमिंग और अभिनय से दर्शकों के दिलों में ऐसी जगह बनाई जो आज भी कायम है। आज वो हमारे बिच नही रहे उनको हमारी और से श्रद्धांजली ॐ शान्ति। 💐🙏
एक्टर असरानी: इंदिरा गांधी की वजह से बदली थी किस्मत
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